Friday, 26 April 2024

A

साहिल पे बैठे यूँ सोचता हुं आज,
कौन ज़्यादा मजबूर है.?
ये किनारा, जो चल नहीं सकता,
या वो लहर, जो ठहर नहीं सकती...

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