A
A
"ब्रह्मा से लेकर तिनके तक सभी उपाधियाँ मात्र मृषा (मिथ्या) हैं। इसके बाद, अपने पूर्ण आत्मा को एकात्मना स्थित देखना चाहिए।"
ब्रह्मादिस्तम्बपर्यन्तं मृषामात्रा उपाधयः ।
ततः पूर्णं स्वमात्मानं पश्येदेकात्मना स्थितम्॥
ब्रह्मादिस्तम्बपर्यन्तं मृषामात्रा उपाधयः ।
ततः पूर्णं स्वमात्मानं पश्येदेकात्मना स्थितम्॥
A
No comments:
Post a Comment